रहीम के दोहे।। रहीम के दोहे अर्थ सहित
रहीम एक मशहूर हिंदी कवि थे, जिन्होंने अपनी रचनाओं के माध्यम से समाज में संदेश पहुंचाने का कार्य किया। यहां कुछ प्रसिद्ध रहीम के दोहे हैं:
रहीम के दोहे class 7
- बिगरी बात बने नहीं, लाख करो किन कोय। रहिमन फाटे दूध को, मथे न माखन होय।। अर्थ: बिगड़ी हुई चीज़ों को ठीक नहीं किया जा सकता, चाहे आप जितना भी प्रयास करें।
- बिन सुने चरित्र ग्रंथ, न चरित्र चले न संत। रहिमन गर बरसे नदी, मैं कूदूँ पार लगात।। अर्थ: चरित्र रहित व्यक्ति और धार्मिक ग्रंथों के बिना सत्य का पालन नहीं कर सकता। जैसे रहीम नदी पार करने के लिए बारिश के बिना कूदते हैं।
- मन के हारे हार है, मन के जीते जीत। रहिमन अन्ना सब की ठोकर, चाहे मिले खाद नहीं।। अर्थ: जो अपने मन को हराते हैं, वे हार जाते हैं और जो अपने मन को जीतते हैं, वे विजयी होते हैं। जैसे रहीमन अन्ना (भोजन) सबकी ठोकर है, चाहे उन्हें खाद (धन) मिले या न मिले।
ये दोहे रहीम की आपातकालीन दृष्टि, नैतिकता, और जीवन के मूल्यों पर ध्यान केंद्रित करते हैं। उनके द्वारा बताए गए सन्देश आज भी हमारे जीवन में महत्वपूर्ण हैं।
रहीम के दोहे class 9
- दिन ढाई डंडठल, रात ढाई ढाई। खांचा खट्टी होय, ठोकर खाए चाई।।
- गहरे पानी पैठ, कुंभ उठे सबै। जो आँधे को पहिचाने, वही बड़ा नवै समझै।।
- बाल बूढ़े नाहीं रहते, बुढ़ा बचन खोय। जो बुढ़ा होय कामरी, सो कोऊ बरी होय।।
- आपदा काल पराखिए, चढ़े सब उदास। जो नहीं लाख ताड़न की, चढ़ै सो करै नियास।।
- मन के हारे हार है, मन के जीते जीत। रहिमन बिन सीसा लूटै, मन के पीछे सीस।।
- रहिमन निज मन की बिथा, मन ही राखो गोय। बिन तिलक भैंस नहीं, भैंस नहीं आंगन गोय।।
ये थे कुछ चुनिंदा रहीम के दोहे। आशा करता हूँ कि ये आपके लिए उपयोगी सिद्ध होंगे।
ये रहीम के दोहे हमें सत्य, नैतिकता, संयम, और सामाजिक मूल्यों की महत्वता को समझाते हैं। उनके द्वारा व्यक्त किए गए सन्देश हमारे जीवन में अच्छाई और सही रास्ता चुनने में मदद करते हैं।
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